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उत्तर प्रदेश सरकार इन दिनों महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले विधायकों व कानून के संरक्षकों से निपटने का ढोंग बहुत अच्छी तरह कर रही है।विषय बांदा के विधायक के पुरूषोत्तम द्धिवेदी को जेल भेजने,पार्टी से निकाले जाने का हो या कानपुर के दिव्या मामले में कार्यवाही करने का हो।फौरी कार्यवाही के लिये केन्द्रीय कानून मंत्री का बयान भी लाजबाब है।विधायक का मामला फास्ट ट्रेक कोर्ट के हवाले किया गया है।अच्छी बात है,कि महिलाओं,बच्चों के साथ अपराध करने वालों से इसी तेजी से पेश आना चाहिये।पिछले वर्ष ऐसे ही मामले में उत्तर प्रदेश के एक दबंग सांसद को सरेआम सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था।मायावती की इस हिम्मत की सबने तारीफ की थी।मेरी अपनी नजर में ऐसी हिम्मत करके मायावती ने अपना नाम इतिहास में वाकई कील की तरह ठोक दिया था।ऐसे कारनामें दरबारियों की इनायत पर नहीं होते।आम जनता के मुंह से निकला था कि वाह कार्यवाही ऐसी होनी चाहिये।इसी तरह बांदा के विधायक के मामले में भी सरकार की तारीफ हुयी है। लेकिन कुछ ऐसे प्रकरणों पर निगाह पडती है,जहॉ अपराधी न सिर्फ खुला घूम रहा है,बल्कि दावे करने वाले पीडित पक्ष के खिलाफ साजिश करके जेल भिजवाने की कोशिश कर रहा हो तो क्या कहेंगें।यह सब देखकर ऐसा लगता है,जैसे यह कार्यवाही नहीं बल्कि ये ढोंग है।बदायूं से बिल्सी से विधायक योगेन्द्र सागर पर काफी लम्बे समय से एक परिवार को आर्थिक,मानसिक,सामाजिक,यौनिक रूप से शोषित करने का आरोप है।लेकिन परिवार को आज तक इंसाफ नहीं मिला और न हीं किसी प्रकार की जांच की वैधानिक कार्यवाही की गयी।कहीं ऐसा तो नहीं कि अपराध करने में भी विशेष जातियों को ढील दी जा रही है।क्या अपराध से निपटने में भी आरक्षण का प्रावधान तो नहीं कर दिया है।मायावती जी हमने तो एक कहानी पढी थी,गॉंड लिव्स इन दि पंच,जो आप जैसी किसी अंग्रेजी की टीचर ने पढायी थी।शयद आपको भी याद होगी।
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