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साहब, मुझे गरीब बना दो ।

amritvani
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शिशु शर्मा,
आदमी भगवान से ये प्रार्थना करते तो सुना होगा कि प्रभु मेरी गरीबी को हटा,मुझ पर रहम कर ताकि हम सुखी रह सकें।लेकिन क्‍या यह सुना है आदमी ये प्रार्थना करे कि सरकार हमें अपने कागजों में गरीब बनाये रखो जिससे हमें गरीबों को मिलने बाले फायदे मिलते रहें।लेकिन आजकल यह खूब हो रहा है।लोग तहसील,ब्‍लाकों से ऐसी सूचना तैयार करा लेते हैं‍ जिससे सरकारी फायदे उन्‍हें मिलते रहें।वास्‍तव में ऐसा जरूरी जान पडता है कि सरकार ने गरीबी के नाम पर खजाना खोला हुआ है।
आज तक लोग गरीबी रेखा में श‍‍िमल होने के लिये जतन कर रहे थे।और जो लोग बी,पी,एल, श्रेणी में थे,वे अपनी स्थिती को बरकरार करने की कोशिश में हैं। अब उत्‍तर-प्रदेश सरकार ने गरीबों को लाभ देने के लिये ‘महामाया गरीब आर्थिक योजना’ की शुरूआत की है।इस योजना की मंशा स्‍पष्‍ट है कि ऐसे गरीब जिन्‍हें किसी साम‍ाजिक सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है,उन्‍हें प्रतिमाह 300 रूपये दिये जांये। इस बाबत सरकार का आदेश है कि प्रत्‍येक गॉंव में एक खुली बैठक का आयोजन किया जाये,जिसमें गॉंव के लोग, ब्‍लाक,तहसील,व जिला स्‍तर के कर्मचारीयों के सामने यह तय करेंगें क‍ि कौन लोग सही मायने में गरीब हैं।इसमें धांधली की गुजांइस भी काफी कम होगी।
लेकिन यह क्‍या,आम आदमी की मानसिकता को यह क्‍या हो गया कि पूरे गॉंव के गॉंव जोर-शोर से कह रहें हैं कि साहब हम गरीब है।योजना के मुताबिक जिस आदमी के पास लेन्‍टर युक्‍त पक्‍का मकान न हो,लगभग एक एकड जमान न हो,उसे किसी अन्‍य योजना का लाभ न मिल रहा हो,केवल वही आदमी इसके लिये पात्र हो सकता है।लेकिन लोग खुली बैठक में खुला झूठ बोल रहें हैं।गॉंव का प्रघान एवं विपक्षी किसी की सही बात इसलिये नहीं बता रहा कि उसे वोट चाहिये।कुछ दूसरे लोग आपसी रजिंश बनाना नहीं चाहते।लोग जमीन के बारे में भी गलत जानकारी दे रहें है। उन्‍हें इस बात का कतई डर नहीं है कि राजस्‍व अभिलेखों से जमीन सम्‍बधी सूचना का मिलान किया जा सकता है।
कुछ गॉव की जानकारी इससे भी खराब है वहॉं बैठक की कार्यवाही के दौरान ही लोग आपस में लडने लगते हैं।ऐसा लगता है कि ये वो भारत देश नहीं जो सोने की चिडिया हो।यह तो गरीब-फकीरों का देश है,जहॉं पूरा देश गॉंव में बसता हो और पूरा देश गरीब है।लोगों को अपनी मेहनत मशक्‍कत पर कोई भरोशा ही नहीं रह गया हो।
जब मैने लोगों से बात कर उनसे आग्रह किया कि वे गरीबों की सही बात बतायें ताकि सही लोगों को इस योजना का लाभ मिल सके,गरीब बनकर रहना ईश्‍वर के उपकारों को नकारना है। कहीं ईश्‍वर आपको इस लायक ही नहीं बना दे कि आप सरकार के सामने हाथ फैलाने के काबिल रह जाओ। तो लोगों का स्‍पष्‍ट कहना था कि भइया, ऐसा कहना गलत है,वास्‍तव में आज बहुत ऐसे लोग हैं जिन्‍होंने गलत तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर अपनी सिथती मजबूत की है और आजकल गॉव में अच्‍छी धाक रखते हैं।
अब आप क्‍या कहेंगें कि सरकार की मंशा ठीक नहीं या योजनाओं को लागू करने में भ्रष्‍टाचार है या लोगों की गरीब मानसिकता।

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