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दलित राजनीति में सामंतवादी सोच ।

amritvani
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यूं तो सामंतवादी सोच हमारे पूरे समाज की रग रग में रची बसी है। राजनैत‍िक एवं प्रशासन‍िक क्षेत्रों में सामंतवादी रूतवा दिनोदिन और बढता जा रहा है । दलित राजनीति के प्रारम्‍भ का इतिहास सामंतवादी विचार धारा के विरूद्ध या यूं कहे कि स्‍ावर्णों की तथा‍कथित मनुवादी विचारधारा के विरूद्ध तैयार किया गया था । लेकिन यह क्‍या, सत्‍ता के सौपानों पर पहुंचते ही दलित राजनीति भी कहीं न कहीं सामंतवादी व्‍यवहार का अनुसरण करने लगी है । प्रदेश की मुख्‍यमंत्री जब शपथ लेती है तो कई सवर्ण नेता मंच पर ही उनका चरणवन्‍दन करके उनका आर्शीवाद प्राप्‍त करते है । केवल यहीं तक नहीं बल्कि मुस्लिम उलेमा वर्ग जब उनसे मिलने पहुंचता है तब मिलने गये समस्‍त मुस्लिम नेता नंगे पैर बिना चप्‍पल पहुंचे थे । मुसलमान समाज में इस बात की बडी तीखी आलोचना हुई थी । यदि सामतंवादी सोच का पारम्‍परिक अर्थ निकाले तो आर्थिक रूप से समृद्ध, बडी भूजोत के मालिक एवं प्रभुजाति के रूप में ऐसे व्‍यवहार को कहते है जो भूमिहीन गरीब समुदाय को तुच्‍छ एवं निकृष्‍ट मानता हो तथा उन्‍हें अपने सेवक या दास के रूप में समझता हो ।
अब यही बात जरा वर्तमान समय की दलित राजनीति पर लागू करके देखें तो क्‍या एक रत्‍ती भर भी ऐसे व्‍यवहारों में परिवर्तन हुआ है, नही । अन्‍तर केवल इतना है कि पहले निम्‍न जातियॉ सामंतों के व्‍यवहार से त्रस्‍त थी और अब आर्थिक रूप से निचले पायेदान पर खडा आदमी आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से समृद्ध सामंतों से त्रस्‍त है । वास्‍तविकता यह है कि आज के समय में समाज में यही लोग प्रभुजाति (दंबग समुदाय) के रूप में स्‍थापित है ।
उत्‍तर प्रदेश की मुख्‍यमंत्री जब महारैली का आयोजन कर करोडों रूपये की माला पहनती है तब उसमें पिरोये गये करोडो रूपये उनका स्‍वागत व सम्‍मान हो सकता था, लेकिन जैसे ही मीडिया ने एवं विरोधियों ने इसकी आलोचना की तब अगले दिन बहन जी के द्वारा विरोधियों को जबाव देने के लिए लाखों रूपये की नोटों की दूसरी माला पहनी गयी । अब इसको जबाव देने का, कानून को ठेंगा दिखाने का, गरीब समाज का मजाक उडाना नहीं कहा जायेगा तो क्‍या कहा जायेगा । जब प्रदेश में कोई गरीब बेरोजगारी के चलते आत्‍महत्‍या करें और प्रदेश का मुखिया धनबल का प्रदर्शन करें तो यह सामतंवादी सोच ही है । आज भी दलित समाज अपने व्‍यवहार में उन्‍ही कृत्‍यों का अनुसरण कर रहा है जिनका वह विरोध करता था । जैसे दलितों में भी जो सरकारी नौकरी पर नहीं है या गरीबी में गुजारा करते है वे आरक्षण का सर्वाधिक लाभ प्राप्‍त करने वाले उच्‍च दलितों के लिए दलितों की तरह ही है । यह छूआछूत एवं अलग समूह के रूप में माने जाते है । यानि कि दलितों के नाम पर इनको केवल वोट बैंक के रूप में उपयोग किया जाता है । इनकी स्थिति में कोई गुणात्‍मक सुधार नहीं आया है । इनके बच्‍चें आज भी सरकारी स्‍कूलों में टाट पर बैठकर मिडडेमील के सहारे शिक्षा ग्रहण कर रहें है । क्‍या आप सोच सकते है कि किसी दलित सांसद, विधायक, स्‍थानीय जनप्रतिनिधि, दलित अधिकारी के बच्‍चे इनके साथ्‍ा बैठकर, समान भोजन करके शिक्षा ग्रहण कर पायेंगे । आप समग्र रूप से देखेंगे तो पायेंगे कि समाज का तानाबाना पूरी तरह विसंगतियों से युक्‍त है । यहॉ समाजवाद का नारा बिल्‍‍कुल दिखावे के लिए है । आज भी दलित व पिछडो की राजनीति में ऐसे लोगों का प्रभुत्‍व है जो आर्थिक रूप से मजबूत होने के बावजूद भी आरक्षण का लाभ ले रहे है। वे अपने लाभ को न बटने देने के लिए सजग एवं प्रयासरत है । केन्‍द्र में महिलाओं को दिये जाने वाले आरक्षण का भी विरोध कुछ इसीलिए भी किया जा रहा है । समाजवाद या सर्वजन हिताय की आड में अपनों को आगे लाने की जुगत की जा रही है । अधिक से अधिक भूमियों पर कब्‍जा करके फार्म हाउस संस्‍कृति में सामंतवादी सोच को पुर्नजीवित करने की कोशिश की जा रही है । यदि ऐसा नहीं है तो आजादी के 62 वर्ष बाद भी गरीब एवं भूमिहीन निरन्‍तर गरीब बना हुआ है जबकि अमीर एवं धनाढय और अमीर बन रहे है । यह सामंतवादी सोच का एक नतीजा नहीं तो और क्‍या है ।
एक स्‍याह पहलू पर बात लिखनी और जरूरी है । अन्‍तरजातिय विवाहों को बढावा देने के लिए तमाम सरकारी एवं बौद्धिक प्रयास जारी है ताकि सामाजिक परिवर्तन लाया जा सके । लेकिन दलित एवं पिछडी जातियों में आपस में किये गये विवाहों को क्‍या स्‍वीकार किया जा रहा है या नहीं । ऐसे विवाहों के‍ विरोध में उच्‍च दलित एवं उच्‍च पिछडी जातियॉ किसी भी हद तक के सघर्ष को तैयार रहती है । वे किसी भी कीमत पर अपने से नीचे गरीब के यहॉ विवाह करना पसन्‍द नहीं करते । कहने का लब्‍बोलबाव यह है कि हम कोई भी काम बिना सामंतवादी सोच के नहीं करते । इसी लिए हमारे चारों तरफ नौकर एवं पगडी बांधे अर्दली बने ही रहते है ताकि हमारा रूतबा एवं जलबा कुछ औरो से स्‍पेशल दिखायी दें । हम स्‍पेशल व्‍यवहार की (बी0आई0पी0 ट्रीटमेन्‍ट की )उम्‍मीद करते है।

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